मै हर वक्त हाथों में जाम लिए फिरता हूँ....

शीर्षक- मै हर वक्त हाथों में जाम लिए फिरता हूँ....


उनसे नजरें नही मिली अब तक ,
फिर भी उनके लिए दिल मे पैगाम लिए फिरता हूँ,
उनकी नकारी का गम मुझे मार न डाले ,
इस लिए हर वक्त हाथों में जाम लिए फिरता हूँ...

उनको घमंड है जरा उनकी खूबसूरती पर,
फिर भी अपने हाथों में उनका नाम लिए फिरता हूँ,
उनकी नकारी का गम मुझे मार न
 डाले ..,
इस लिए हर वक्त हाथों में जाम लिए फिरता हूँ....

उनके इश्क ने मुझे निकम्मा बना रखा है..,
इसलिए उनकी आशिकी को सबसे बड़ा मुकाम लिए फिरता हूँ,...
उनकी नकारी मुझे मार न डाले ,...
इसलिए हर वक्त हाथों में जाम लिए फिरता हूँ,

कभी उनसे दिल कि बात नही कही ,
फिर भी उनके हां के उम्मीद में इंसान बना फिरता हूँ,
उनकी नकारी मुझे मार न डाले,
इसलिए मैं हर वक्त हाथों में जाम लिए फिरता हूँ,

कुछ गम बाकी रह गई है इस दिल मे,
फिर भी चेहरे पर हँसी आंखों में खुशी सजाए अपने दिल मे गमो का दुकान लिए फिरता हूँ,
उनकी नकारी मुझे मार न डाले,
इस लिए हर वक्त हाथों में जाम लिए फिरता हूँ...

इस दिल मे आज भी कुछ बात बाकि है...
मै उन बातों को सच मे बदलने के अरमान लिए फिरता हूँ,
उनकी नकारी मुझे मार न डाले,
मै इस लिए हर वक्त हाथों में जाम लिए फिरता हूँ....

उनकी नकारी मुझे मार न डाले ,
इसलिए हर वक्त हाथों में जाम लिए फिरता हूँ...

          ~🖋आरव शुक्ला
         9039799902


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