मुझे तुम क्या समझोगे

✍मुझे तुम क्या समझोगे...✍ अहसास मेरी है, सफर भी मेरा है प्यास मेरी है, मंजिल भी मेरा है रातो को मै तड़पता हु,दिन का भी दर्द मेरा है... तूम तो तमाशा देखने वालो मे से एक हो ,मुझे तुम क्या समझोगे.... रोता हु मै, आँसू भी मेरे ही है हंसता मै हु, खुसियां मैने ढूंढी है तुम्हारी गलियों से मै गुजराता हु , वहां चोट भी मैंने खाये तुम तो बाते बनाने वालों मे से एक हो ,मुझे तुम क्या समझोगे... लिख मैं रहा हु, शब्द भी मेरे है बोल मै रहा हु ,आवाज भी मेरी है मेरे दिल मे कुछ चुभ रही है , वो गलतियां भी मेरी ही है... तुम तो सुनके भुलाने वालो मे से एक हो, मुझे तुम क्या समझोगे.... तुमसे मिला मै था, बाते भी मेरी थी तुम संग वक्त मैने बिताएं, यादें भी मेरी ही थी कुछ लम्हे मैने सजाएं ,वो अच्छे पल भी मेरे थे... तुम तो रोज मिलकर भुल जाने वालो मे से एक हो, मुझे तुम क्या समझोगे.... मै खुश अकेले नही होता, मै तुम्हे भी खुशियां देता हूं तुम्हारे सारे गमो को मैं अपना बना लेता हूं खैर ये बाते तो मेरी है , की मै कुछ भी कर सकता हु तुम्हारे लिए तुम तो अपनी दुनिया मे ही रह जाने वालों मे से एक हो ,मुझे तुम ...